Monday 18 March 2013

नौजवान

नौजवानों ने अज़ब सा देखो उजाला कर दिया


सूखे दीयों में तेल उम्मीद का दुबारा भर दिया



जिन घरों में पसरा था मातम का साया ग़ज़ब

अपनी हिम्मत से हँसी का एक पौधा धर दिया



अब जमाना मेहनत का है सबको सिखाया यही

नौजवाँ इस सोच ने सब कुछ निराला कर दिया



अब समझ आई है आजादी सुभाष आजाद की

हारी हुई हर सोच को हमने हिमाला कर दिया



मंदिर-ओ-मस्जिद का नहीं अब कोई झगडा बचा

जमजम-ओ-गंगाजल हमने एक प्याला कर दिया



हम हैं कायल शान्ति के पर न खद्दर पर यकीन

झूठ के दरिया को अब हमने नाला कर दिया



अब न कोई लूट पाए अपनी मेहनत का धन

अपना मुकद्दर "कादर" हाथों के हवाले कर दिया



केदारनाथ "कादर"



रहनुमा

अब रहनुमा से न दरकार रख, खुद रहनुमा बन यार तू


ये चमन तेरा है याद रख, "कादर" जान से कर प्यार तू



Nar Pishach

आदर्शों की खाल है, नजर उठाकर देखिये जिस ओर भी


"कादर" उघाड़ना मत खाल , नरों में नरपिशाच छिपे हैं