दर्द क्या सिर्फ सहने के लिए होता है
या दर्द होता है इसलिए हम सहते हैं
दर्द को कोई दर्दवान ही समझता है
दर्द अपनी अपनी सोच पर निर्भर है
दर्द की परिसीमाएं और परिभाषाएं अपनी
किसी का दर्द, किसी के लिए काम है
दर्द बस दिलवालों का होता है ऐसा नहीं
बेदिल भी बेदर्दी होने के नाते इससे जुड़े हैं
कभी दर्द के, कभी खून के या मय के
बस दर्द के कारण ही, हम घूंट पीते हैं
हमें दर्द कभी तोड़ता है, कभी जोड़ता है
हमें मजबूर भी जीने के लिए दर्द करता है
दर्द मार भी डालता है, शर्म को, जिस्म को
या कभी कभी जमीर और इन्सान को
दर्द ही बनाता है मशीन एक इन्सान को
दर्द ही "कादर" मशीन से इन्सान बनाता है
केदारनाथ "कादर"
Wednesday 28 April 2010
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