मेरा परिचय
मेरी कविता शर्मनिरपेक्षता पढ़ कर मेरा परिचय है पूछा जाता ;
लो इसीलिए अपना परिचय मैं आज तुम्हे बतलाता हूँ !
मैं दिनकर तो नहीं (किन्तु) दिनकर की दिनकरता का वारिस तो हूँ ;
तथा राष्ट्रवाद के अकालग्रस्त खेतों में बारिश सा तो हूँ ;
नभ से धरती के पृष्ठों पर, राष्ट्र भक्ति की कलम उठा ;
अपने अंतर की ज्वाला से अंगारों को शब्दों में ढाल;
नव क्रांति की कविता रच कर; मैं नाम तुम्हारे कर दूंगा!
ऐसे फिर भारत का सोया, मैं भाग्य बदल कर रख दूंगा!!
ऐसे फिर भारत का सोया, मैं भाग्य बदल कर रख दूंगा!!
मैं दिनकर तो नहीं....
मैं वो भांड / भाट नहीं जो पुरुस्कार हित, सत्ता के चरण चुम्बन में शीश नंवाते;
मैं वो पत्ता भी नहीं जो मंद पवन के झोंके से ही उड़ जाते;
हिमालय की दृढ़ता का प्रतीक हूँ, तूफान बवंडर भी हैं मुड जाते;
बनूँ भगत आजाद उधम सिंह सावरकर तो बैरी भी हैं थर्रा जाते;
भूले से तुम टकरा मत जाना, और घर में जा के मौज मनाना;
पीठ पे वार नहीं करते हम, जब भी शत्रु रण छोड़ के जाते ?
मैं दिनकर तो नहीं (किन्तु) दिनकर की दिनकरता का वारिस तो हूँ